प्यार की एक बरसाती शाम
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वह एक शांत, बरसाती शाम थी। सोफिया और रयान ने एक साधारण रात्रिभोज की योजना बनाई थी, लेकिन मौसम ने उनकी योजना बदल दी। अपने आरामदायक अपार्टमेंट में फँसा हुआ, खिड़कियों पर बारिश की थपकी की आवाज़ हवा में गूंज रही थी।
सोफिया खिड़की के पास खड़ी थी, उसकी बाँहें पार हो गईं, काले बादलों को देख रही थी। रयान उसके कंधों पर कंबल रखकर उसके पास आया।
"जब आप नाराज़ होते हैं तब भी आप सुंदर दिखते हैं," उसने धीरे से चिढ़ाया, उसकी आवाज़ गर्म और कोमल थी।
वह उसकी ओर मुड़ी, उसके होंठ एक अनिच्छुक मुस्कान में बदल गए।
"क्या यह मुझे इस बर्बाद शाम को भुलाने का आपका तरीका है?" उसने पूछा, चंचल फिर भी जिज्ञासु।
वह करीब आया, उनके चेहरे इंच भर दूर थे। "नहीं," वह फुसफुसाया। "यह मेरे कहने का तरीका है कि मैं कहीं और किसी भी आदर्श दिन की तुलना में आपके साथ एक तूफानी रात बिताना पसंद करूंगा।"
उसका दिल तेजी से धड़कने लगा क्योंकि उसकी ईमानदारी ने उसकी हताशा को पिघला दिया। ऐसा लग रहा था कि कमरा गर्म हो गया है, बाहर की बारिश उनके बीच की चिंगारी की पृष्ठभूमि मात्र है।
बिना सोचे-समझे, उसने उसका चेहरा पकड़ लिया और उनके होंठ एक धीमे, भावुक चुंबन में मिल गए। बाहर का संसार विलीन हो गया; बारिश, बादल-सब कुछ फीका पड़ गया।
रयान थोड़ा पीछे हट गया, उसका माथा उसके माथे पर टिका हुआ था।
"मैं तुमसे प्यार करता हूँ, सोफिया," उसने धीरे से कहा, उसकी आँखें उस पर टिक गईं।
वह मुस्कुराई, उसका दिल भर आया।
“मैं भी तुमसे प्यार करता हूँ, रयान। हमेशा।"
जैसे-जैसे बारिश जारी रही, वे एक-दूसरे की बाहों में लिपटे रहे, यह एक बेहतरीन शाम थी जिसकी उन्होंने योजना नहीं बनाई थी।
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